टिकट आबंटन में कैसे जमा सांघी आलै साब का चुनावी सांग, देरी से आई कांग्रेस की सूची में पीछे कैसे रह गए दिग्गज
- By Vinod --
- Saturday, 27 Apr, 2024
How Sanghi Alai Saab's election song got included in ticket allotment
How Sanghi Alai Saab's election song got included in ticket allotment- चंडीगढ़। हरियाणा में आगामी 25 मई को लोकसभा के चुनाव होने है। सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। कांग्रेस की देर से आई सूची ने भी सबसे अधिक कांग्रेसियों को ही चौंका दिया है। कई दिग्गज कांग्रेसी अपने या फिर अपने चेहतों के लिए टिकट नहीं ले पाए। टिकटों के बंटवारे में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा का ही सिक्का चला। समर्थक कह रहे है कि सांघी आला चोखा सांग जमा ग्या। ठीक है टिकट बंटवारे में हुड्डा गुट हावी रहा लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाई उनकी नाराजगी से कैसे पार पाया जाएगा यह सब तो वक्त ही बताएगा लेकिन अभी तो हुडडा ने पार्टी में अपनी उपस्थिति का अहसास करा ही दिया है।
पुरे देश में चुनावी माहोल पुरी चरम सीमा पर है। कांग्रेस ने जातीय समीकरण के तहत सोशल इंजीनियरिंग को भी ध्यान में रखा है। एस सी,ओबीसी,ब्राह्मण, जाट और पंजाबी समाज को ध्यान में रखा गया है। लगता है पार्टी ने समझ के साथ सोशल इंजीनियरिंग की है। सिरसा कुमारी शैलजा और अम्बाला से वरुण मुलाना एस सी समाज से,सोनीपत से सतपाल ब्रह्मचारी, ब्राह्मण समाज से है जबकि दिव्यांशु बुद्धिराजा पंजाबी समाज से, वैसे बुद्धि राजा को करनाल से उतारे जाने को लेकर सभी अचंभित है।
काफी लोगों ने यह नाम पहली बार सुना होगा। महेन्द्रगढ़- भिवानी संसदीय क्षेत्र से राव दान सिंह अहीर समाज से आते है,इन्हे भी हुडडा खेमें का ही माना जाता है जबकि महेन्द्र प्रताप सिंह पुराने गुर्जर नेता है। उन्हे अपने संपर्क का भी फायदा मिला। वे हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भी रहे है। हिसार से भूपी के खासम खास जयप्रकाश जेपी को मैदान में उतारना हुड्डा के मजबूत पक्ष को दर्शाता है।
टिकट तो अपने चहेतों को दिलाने में सफल हो गए लेकिन जिन्हे नही मिला उनको कैसे मनाएंगे। कांग्रेस के सामने सबसे बडा विषय यही रहने वाला है। आपसी रिश्तों की दुहाई देने वाले प्रदेश के दिग्गज बीरेन्द्र सिंह डूमरखां और उनके बेटे बृजेन्द्र सिंह को भी कही से टिकट नहीं मिली। वे हिसार से ही टिकट के इच्छुक थे। वर्ष 2019 में हिसार सीट से ही बीजेपी के सांसद चुने गए थे। अभी कुछ समय पहले ही कांग्रेस में आए थे।
भिवानी- महेंद्रगढ़ संसदीय सीट से किरण चौधरी की बेटी श्रुति को टिकट ना मिलना पार्टी के लिए परेशानी पैदा कर सकता है। अब देखना यह है कि नाराज नेताओं की आवाज को जीत के परवाज लगाने में हुड्डा या फिर कांग्रेस कितना सफल बना सकते है। दस साल से सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस की दिग्गज भविष्य में क्या रणनीति अपनाते है। चुनावी संदर्भ इसी बात पर निर्भर रहने वाला है।
लोगों का कहना है कि सबसे चौंकाने वाली बात करनाल से दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट मिलने की है। इसमें भी हुडडा की चली। युवा कांग्रेसी चेहरा, नरेन्द्र मोदी, मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी की मजबुत टीम के सामने कितना टीक पाएंगे,इसका तो पता 4 जून को ही लगेगा लेकिन अभी तक तो करनाल से पूर्व सीएम मनोहर लाल मजबुत उम्मीदवार दिखाई पड़ रहे है।
किसी समय बड़े सुरजेवाला के नजदीकी रहे वर्तमान में हुडडा के खासम खास पब्लिसिटी एडवाईजर दिलबाग मोर से टिकट आबंटन को लेकर बात की गई तो उन्होने बताया कि उम्मीदवारों की सुचि में थोडा देरी का कारण सर्वे करवाना था। प्रदेश में जिन उम्मीदवारों का सर्वे सही मिला, उन्हे ही टिकट मिली है। दिव्याशु बुद्धिराजा को करनाल सीट से उतारने को लेकर उन्होने कहा कि नया पंजाबी चेहरा है, युवा है। बात करें तो बुद्धिराजा को लेकर क्या सभी कांग्रेसी एक नाके से निकल पाएगे। यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन थोडी देर ही सही कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार तो उतार ही दिया है।
हिसार सीट से सांसद रह चुके जयप्रकाश जेपी के लिए यह सीट कितनी स्टीक बैठती है। यह तो समय की सोपान बताएगी लेकिन हिसार सीट पर कड़े मुकाबले के आसार तो बन ही गए है। हिसार लोकसभा क्षेत्र में नो विधासभा क्षेत्र है, जिनमें हिसार, हांसी, उकलाना, आदमपुर, बरवाला, नलवा, उचाना, बवानी खेड़ा तथा नारनौद शामिल है। वैसे उनका गांव दुबल कलायत विधान सभा में पड़ता है। जेपी कलायत से भी विधायक रह चुके है। जेपी चार बार चुनाव जीत चुके है। अब आठवी बार चुनाव मैदान में है। वर्ष 1989 में पहली बार लोकदल से सांसद चुने गए थे।
महेन्द्रगढ़-भिवानी संसदीय सीट से राव दान सिंह को भी भूपेन्द्र सिंह हुडडा का आशीर्वाद प्राप्त है। किरण चौधरी या फिर श्रुति चौधरी को टिकट ना मिलने से परेशान करने वाली नाराजगी तो झेलनी पड़ेगी ही। लेकिन यदि वे उन्हे मनाने में सफल हुए तो धर्मवीर सिंह तालु के साथ कड़ी टक्कर की स्थिती बन सकती है। फरीदाबाद से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने गुर्जर उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया है।
कृष्ण पाल गुर्जर दस साल से केन्द्र में मंत्री पद पर आसीन है। महेंद्र प्रताप भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माने जाते है। संसदीय क्षेत्र में उनकी भी अच्छी पैंठ है। इस सीट पर भी कड़ी टक्कर के आसार बनते दिखाई पड़ रहे है। सोनीपत से भी कांग्रेस ने बीजेपी के ब्रहामण उम्मीदवार के सामने ब्रहामण उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ओबीसी विशेषकर अति ओबीसी को मोदी से दुर करना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है। किसी जमाने में यह वोट कांग्रेस का जिताऊ वोट हुआ करता था।
हरियाणा में चुनाव कार्यक्रम के दृष्टिगत 29 अप्रैल को गजट नोटिफिकेशन होगा और नामांकन की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी, 6 मई को नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन होगा, 7 मई को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, 9 मई तक उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र वापिस ले सकते है, इसके उपरांत 25 मई को मतदान होगा तथा 4 जून को मतों की गणना का कार्य किया जाएगा। चुनाव में जीत के लिए सभी अपनी अपनी गोटियां फिट करने में लगे है। जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन प्रयासों की पराकाष्ठा पूरे चरम पर है। किसकी चुनावी चाशनी में बनेगा जीत का जिताऊ प्रसाद, पता चलेगा चार जून को।